| 1. | चतुर्थी विभक्ति लक्षणया और मंत्रवर्ण अधिष्ठान का बोधन करता है।
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| 2. | चतुर्थी विभक्ति लक्षणया और मंत्रवर्ण अधिष्ठान का बोधन करता है।
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| 3. | चतुर्थी विभक्ति लक्षणया और मंत्रवर्ण अधिष्ठान का बोधन करता है।
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| 4. | उसका ज्ञान, तद्धित, चतुर्थी विभक्ति और मंत्रवर्ण इन तीनों से होता है।
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| 5. | उसका ज्ञान, तद्धित, चतुर्थी विभक्ति और मंत्रवर्ण इन तीनों से होता है।
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| 6. | उसका ज्ञान, तद्धित, चतुर्थी विभक्ति और मंत्रवर्ण इन तीनों से होता है।
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| 7. | इसी प्रकार यहाँ-“तुम्हारे लिए प्रणाम है”, के लिए युष्मद् (तुम) की चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
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| 8. | प्रत्येक नाम के प्रारम्भ में ओंकार और अनत में चतुर्थी विभक्ति के साथ नम: लगाकर प्रत्येक नाम से एक-एक आहुति दे।
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| 9. | परन्तु इसका संस्कृत रूप हमेशा “तुम्हारे लिए नमः” ही रहता है, क्योंकि नमः अव्यय के साथ हमेशा चतुर्थी विभक्ति आती है, ऐसा नियम है।
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| 10. | इसका विधान इस प्रकार है-प्रारम्भ में मातृका स्थान में गणेश बीज लगाने के पश्चात् एक-एक मातृवर्ण लें और अन्त में चतुर्थी विभक्ति के साथ नम: पद जोड़े।
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